Tuesday, December 18, 2007

हीरा सिंह राणा की उत्तराखंड आन्दोलन की लोकप्रिय कविता

लश्का कमर बांधा,हिम्मत का साथा फिर भुला उज्याली होली,
कां लै रौली राता लश्का कमर बांधा.....
य नि हूनो ऊ नि होनो,कै बै नि हूंनो के ,
माछी मन म डर नि हुनि चौमासै हिलै के
कै निबडैनि बाता धर बै हाथ म हाथा, सीर पाणिक वै फुटैली जां मारुलो लाता
लश्का कमर.....
जब झड़नी पाता डाई हैं छ उदासा, एक ऋतु बसंत ऐछ़ पतझडा़ का बाद
लश्का कमर बांधा........

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