सीमा पर जो नही आ सके अचूक निशाने की जद़ मे
नही आ सके जो मिसाइलों -टैंकों और राँकेटो की रेंज मे,
वे आ गये बिना निशाना सधी गोलियो की चपेट में
जो देश कि सीमा पर मुस्तैदी से रहे तैनात,
मार गिराया जिन्होने न जाने कितने दुश्मनो को,
वो काम आ गये अपनी ही जमीन पर
अपने ही लोगो के बीच निहत्थे थे
अस्मिता की तलाश मे निकले,
मुटिठ्या तनी थी,
जिसमे थी इच्छायें,
इच्छाओ से पटी थी आग,
आग से जले थे शब्द,
और उन शब्दो से डरा हुआ था तानाशांह,
एक जद के खिलाफ निहत्थे खडे़ थे
हजारो के बीच वे तीन या तेरह,
पांच या सात,
और इस जिद के खिलाफगिरते-गिरते भी उन्होने
अपने खून से लिख दिया
ज...य ..उ..त्त..रा...खण्ड
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