Sunday, May 24, 2009

लड़ के लेंगे, भिड़ के लेंगे, छीन के लेंगे

dehradunss

जनकवि अतुल शर्मा की उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान की कविता, यह कविता आन्दोलनकारियों के लिये एक स्फूर्ति का काम करती थी।

लड़ के लेंगे, भिड़ के लेंगे, छीन के लेंगे उत्तराखण्ड,

शहीदों की कसम हमें है, मिलके लेंगे उत्तराखण्ड।

पर्वतों के गांव से आवाज उठ रही सम्भल.....!

औरतों की मुट्ठियां मशाल बन गई सम्भल......!

हाथ में ले हाथ आगे बढ़ के लेंगे उत्तराखण्ड। लड़ के लेंगे..........।

आग की नदी, पहाड़ की शिराओं में बही,

हम ही तय करेंगे, अब कि क्या गलत है क्या सही,

राजनीति वोट की बदल के लेंगे उत्तराखण्ड। लड़ के लेंगे..........।

प्रांत और केन्द्र का ये खेल है हवा महल,

फाइलों में बंद है जलते सवालों की फसल,

प्रांत और केन्द्र को हिला के लेंगे उत्तराखण्ड। लड़ के लेंगे..........।

नई कहानी तिरंगे के सथ बुनी जायेगी,

हंसुली और दाथियों की बात सुनी जायेगी,

गढ़-कुमाऊं दोनों आगे बढ़ के लेंगे उत्तराखण्ड। लड़ के लेंगे..........।

दीदी-भुलियां तीलू रौतेली की तरह छायेंगी,

भूखी प्यासी कोदा और कंडाली खाके आयेंगी,

कफ्फू चौहान बन के बढ़ के लेंगे उत्तराखण्ड। लड़ के लेंगे..........।

श्रीदेव सुमन, माधो सिंह भण्डारी बनके आज देख लें,

चन्द्र सिंह, गबर सिंह बनके आज देख लें,

आज के जवान जेल भरके लेंगे उत्तराखण्ड। लड़ के लेंगे..........।

मुट्ठियां उठी हैं इस सिरे से उस सिरे तलक,

मशालें जल उठेंगी इस सिरे से उस सिरे तलक,

हर जुबान को ये गीत देके लेंगे उत्तराखण्ड। लड़ के लेंगे..........।

एक दिन नई सुबह उगेगी यहां देखना,

दर्द भरी रात भी कटेगी यहां देखना,

जीत के रुमाल को हिला के लेंगे उत्तराखण्ड। लड़ के लेंगे..........।

1 comment:

Admin - http://uttarakhandsongs.blogspot.com/ said...

Namaste!!
We have a blog on the music of Uttarakhand.
http://uttarakhandsongs.blogspot.com/

Request you to add the name of our blog on your Blog. I have already done the same.

Please visit out blog.
Thanks