Thursday, August 28, 2008

उत्तराखण्ड के क्रांतिवीर-स्व० श्री विपिन चन्द्र त्रिपाठी/Vipin chandra tripathi

विपिन

              23 Feb, 1945-30 Aug, 2004

23 फरवरी, १९४५ को अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के दौला गांव में जन्मे विपिन त्रिपाठी जी आम जनता में "विपिन दा" के नाम से प्रसिद्ध थे। पृथक राज्य आन्दोलन के वे अकेले ऎसे विकास प्रमुख रहे हैं, जिनके द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को उत्तराखण्ड विरोधी नीतियों के खिलाफ दिये गये त्याग पत्र को शासन ने स्वीकार कर लिया था। २२ वर्ष की युवावस्था से विभिन्न आन्दोलनों की अगुवाई करने वाले जुझारु व संघर्षशील त्रिपाठी का जीवन लम्बे राजनैतिक संघर्ष का इतिहास रहा है। डा० लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर १९६७ से ही ये समाजवादी आन्दोलनों में शामिल हो गये थे। भूमिहीनों को जमीन दिलाने की लड़ाई से लेकर पहाड़ को नशे व जंगलों को वन माफियाओं से बचाने के लिये ये हमेशा संघर्ष करते रहे। १९७०में तत्कालीन मुख्यमंत्री चन्द्रभानु गुप्त का घेराव करते हुये इनको पहली बार गिरफ्तार किया गया। आपातकाल में २४ जुलाई, १९७४ को प्रेस एक्ट की विभिन्न धाराओं में इनकी प्रेस व अखबार "द्रोणांचल प्रहरी" सील कर शासन ने इन्हें गिरफ्तार कर अल्मोड़ा जेल भेज दिया। अल्मोड़ा, बरेली, आगरा और लखनऊ जेल में दो वर्ष बिताने के बाद २२ अप्रेल, १९७६ को उन्हें रिहा कर दिया गया। द्वाराहाट में डिग्री कालेज, पालीटेक्निक कालेज और इंजीनियरिंग कालेज खुलवाने के लिये इन्होंने संघर्ष किया और इन्हें खुलवा कर माने। इन संस्थानों की स्थापना करवा कर उन्होंने साबित कर दिया कि जनता के सरोंकारों की रक्षा और जनता की सेवा करने के लिये किसी पद की आवश्यकता नहीं होती है। १९८३-८४ में शराब विरोधी आन्दोलन का नेतृत्व करते हुये पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मार्च १९८९ में वन अधिनियम का विरोध करते हुये विकास कार्य में बाधक पेड़ काटने के आरोप में भी गिरफ्तार होने पर इन्हें ४० दिन की जेल काटनी पड़ी। ईमानदारी और स्वच्छ छवि एवं स्पष्ट वक्ता के रुप में उनकी अलग पहचान बनी २० साल तक उक्रांद के शीर्ष पदों पर रहते हुये २००२ में वे पार्टी के अध्यक्ष बने और २००२ के विधान सभा चुनाव में वह द्वाराहाट विधान सभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुये। ३० अगस्त, २००४ को काल के क्रूर हाथों ने उन्हें हमसे छीन लिया।

No comments: