यह ब्लाग समर्पित है उत्तराखण्ड आन्दोलन के अमर शहीदों को, जिन्होंने हमारे भविष्य के लिये अपना वर्तमान कुर्बान कर दिया........शत शत नमन एवं अश्रुपूर्ण श्रद्दांजलि। जय भारत! जय उत्तराखण्ड!! This blog dedicated to all uttarakhand movement martyrs, who died for our bright future. JAY BHARAT! JAY UTTARAKHAND!!
Tuesday, January 8, 2008
उत्तराखंड में परिसीमन पर फिर से हो विचार
देहरादून। उक्रांद विधायक पुष्पेष त्रिपाठी ने कहा कि नागालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और झारखंड की तरह ही उत्तराखंड के परिसीमन पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। उत्तराखंड में विधानसभा सीटों के परिसीमन को पहाड़ के लिए अन्यायपूर्ण बताते हुए श्री त्रिपाठी ने इसके लिए दोनों राष्ट्रीय दलों भाजपा तथा कांग्रेस के सांसदों को जिम्मेदार ठहराया। श्री त्रिपाठी ने एक बयान में कहा कि पर्वतीय क्षेत्र की दुरूह भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए परिसीमन में जनसंख्या के साथ भौगोलिक आधार पर भी गौर करने की मांग लगातार उठती रही। इसी आधार पर उक्त राज्यों के प्रस्तावों पर केंद्र सरकार वहां परिसीमन अयोग द्वारा किए गए परिसीमन के बाद भी संशोधन करने जा रही है। पहाड़ के साथ हो रहे अन्याय के लिए उन्होंने दोनों राष्ट्रीय दलों के सांसदों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि संसद में 84वां संशोधन के दौरान इन दोनों राष्ट्रीय दलों के सांसदों ने परिसीमन पर पर्वतीय क्षेत्र की भावनाओं को कभी आवाज देने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री भी तब संसद सदस्य थे। राज्य में भाजपा को समर्थन देते समय उक्रांद के नौ बिंदुओं पर भाजपा से अपनी सहमति दी थी। इसका चौथा बिंदु है- 2001 की जनसंख्या के आधार पर हुए परिसीमन को स्थगित कर जनसंख्या और भौगोलिक आधार पर परिसीमन लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर संसद को भेजा जाएगा। विस के दो सत्र हो चुके हैं पर भाजपा ने इस महत्वपूर्ण बिंदु पर कभी गौर करने की जरूरत नहीं समझी। श्री त्रिपाठी ने कहा कि केंद्र सरकार के राजनीतिक मामलों की केबिनेट कमेटी ने नए परिसीमन को हरी झंडी दे दी है। लेकिन सिर्फ पांच राज्यों नागालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और झारखंड में परिसीमन में संशोधन होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि यहां की विस से इस तरह का प्रस्ताव संसद को भेजा जाए तो सूबे के परिसीमन में संशोधन हो सकता है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या के आधार पर हुए परिसीमन में पहले पर्वतीय क्षेत्र से नौ सीटें कम होने की बात कही जा रही थी पर बाद में मानकों में ढील देने का दावा करते हुए छह सीटें कम की गई। उन्होंने कहा कि यदि मानकों में ढील देना संभव है तो फिर पर्वतीय क्षेत्र से एक भी सीट कम नहीं होनी चाहिए।
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1 comment:
mayr kumau bar mi jadu kuchha udu kam chhu
suno mi kumau bar mi geet likhnu
danu mi muruli baji ge.
yo avaj meri dil mi basi ge.
baage ghurat, chvarnaiki chhichat.
gavrno arat, bakari tital,.
ni bhulu mi aapurai pahar ku.
chahe meele kai lahai ju.
....bahadur....
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